IAS Success Story >> आखिरी अटेम्प्ट में यूपीएससी क्लियर करने वाली नमिता शर्मा का मंत्र-
"एक-दो नहीं पूरे पांच बार असफलता का चेहरा देख चुकीं नमिता का धीरज किसी के भी लिए मिसाल बन सकता है. आज मिलते हैं आईएस नमिता शर्मा से जिन्होंने 145वीं रैंक के साथ 2018 में यूपीएससी की परीक्षा पास की।"
❣️👉 Success Story Of IAS Namita Sharma >>
दिल्ली की नमिता शर्मा उन कैंडिडेट्स के लिये बहुत बड़ा उदाहरण हैं जो एक-दो बार असफल होने पर ही हार मान लेते हैं. नमिता ने यूपीएससी परीक्षा में एक दो नहीं बल्कि पूरे पांच बार असफल होने के बावजूद हार नहीं मानी और तब तक लगी रहीं जब तक सफल नहीं हो गयीं. 👉हालांकि उनका यह सफर आसान नहीं था, कई बार उन्हें लगा कि बस अब उनसे नहीं होगा, कई बार दूसरे विकल्प भी तलाशे और कई बार तो अपने सपने को ठंडे बस्ते में डालने की भी सोची लेकिन हर बार नयी ताकत के साथ उठ खड़ी हुईं. नमिता को असफलताओं ने झकझोरा जरूर पर परिवार के सहयोग ने उन्हें बहुत हिम्म्त दी।
दिल्ली से इंजीनियरिंग की थी नमिता ने., नमिता दिल्ली की रहने वाली हैं और उनके पिताजी दिल्ली पुलिस में असिस्टेंट सबइंसपेक्टर के पद पर कार्यरत हैं. माता जी हाउस वाइफ हैं और उनके अलावा परिवार में एक भाई भी है. इन सभी ने हमेशा नमिता का हौंसला बढ़ाया और बार बार सेलेक्शन न होने के बावजूद अगला प्रयास करने के लिये मोटिवेट किया. नमिता ने दिल्ली की ही आईपी यूनिवर्सिटी से बीटेक किया और ऑफलाइन कैम्पस इंटरव्यू में आईबीएम में जॉब के लिये चुन ली गयीं. इस प्रकार नमिता जॉब के लिये मुंबई चली गयीं. दो साल जॉब करने के बाद उन्होंने यूपीएससी एग्जाम देने की सोची.
अधिकारियों ने किया सपोर्ट यूपीएससी की तैयारियों के दौरान नमिता ने एसएससी सीजीएल परीक्षा पास की थी. चयन होने के बाद वे टैक्स असिस्टेंट के पद पर काम करती थी. वहां उनके सीनियर्स ने उन्हें कहा कि वे इस नौकरी से ज्यादा पाने के काबिल हैं और उन्हें अपनी तैयारी फिर से करनी चाहिये. उनके अधिकारियों ने न केवल उनका सपोर्ट किया बल्कि साक्षात्कार पास करने के टिप्स भी दिये. इससे नमिता को बहुत मदद मिली. अपने आखिरी अटेम्प्ट के बाद उन्हें चयनित होने के पहले इस बात की संतुष्टि थी कि सेलेक्शन हो या न हो इस बार उन्होंने कोई गलती नहीं की है और अपना बेस्ट दिया है. साल 2018 में आखिरी अटेम्प्ट में चयन होने पर उन्होंने चैन की सांस ली।
👉नमिता कहती हैं कि इस परीक्षा का सिलेबस केवल पढ़ लेना ही काफी नहीं होता रिवीज़न बहुत जरूरी होता है. बिना रिवाइज़ करे आपकी सारी तैयारी बेकार है. इसके साथ ही लिखने की खूब प्रैक्टिस करें. जितना ज्यादा लिखेंगे उतना इस बात के लिये श्योर हो पायेंगे कि मेन्स में कुछ छूट नहीं रहा. इसके साथ ही नमिता दूसरे उम्मीदवारों को सलाह देती हैं कि चाहे कितनी बार भी असफल हों पर मन से खुद को असफल न मानें।
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