झूठ, बेईमानी और दूसरों का हक खाते हो,
बताओ तुम इन्शान कहाँ से कहलाते हो?
तुम वही हो ना जो मरे हुए इन्शान को छू कर नहाते हो,
और जानवरो को मार कर चाव से खाते हो.
तुम वही हो जो दुनिया भर के नशीले पदार्थ खुद खाते हो,
परिवार का बच्चा तुम्हे देखकर खाने लगे तो उसे फटकार लगाते हो,
बताओ तुम इन्शान कहाँ से कहलाते हो?
तुम वही हो जो अपने दुःखो पे सबसे मदद मांगते हो,
और दूसरों की मदद करने से कतराते हो,
खुद तुमसे एक माँ बाप तो नहीं रखें जाते,
और दुनिया भर को वसूदैव कुटुंबकम का पाठ पढ़ाते हो,
बताओ तुम कहाँ से इन्शान कहलाते हो ।
तुम वही हो जो अपनी बहन बेटियों को कोई छेडे तो उसे मार डालते हो,
और दूसरों की बहन बेटियों के इज़्ज़त पर हाथ डालते हो,
तुमसे एक कामधेनु गाय तो पाली नहीं जाती,
अपने घर में तुम बड़े बड़े कुत्ते पालते हो,
बताओ तुम इन्शान कहाँ से कहलाते हो?
तुम वही हो ना जो संकट आने पर किसी भी मंदिर या मस्जिद में मत्था टेक आते हो,
फिर संकट चले जाने पर अहम में खुद को भगवान बताते हो,
दूसरों के दुःखो में खिलकर मुस्कुराते हो,
खुद पे दुःख आने पर भगवान (किस्मत)को दोषी ठहराते हो ।
बताओ तुम इन्शान कहाँ से कहलाते हो?
तुम वही हो ना जो दूसरी लड़कियों पर अपनी जान तक देने लग जाते हो,
अपनी पत्नी को पत्नी का दर्जा देने में भी हिचकीचाते हो,
तुम्हे पता है की यहाँ सभी "मुसाफिऱ" है,
फिर भी ये सब मेरा है मेरा है क्यों बतालाते हो,
बताओ तुम इन्शान कहाँ से कहलाते हो????
-मनोज पाण्डेय "मुसाफिऱ "
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